आज हम आपको बताएंगे बहुभ्रूणता क्या है
बहुभ्रूणता
(Polyembryony)
पादपों में सामान्यतः एक बीज में एक ही भ्रूण पाया जाता है,
किन्तु कभी-कभी एक बीज में एक से अधिक भ्रूण भी विकसित होजाते है । अत: एक ही बीजाण्ड (Ovule), बीज अथवा निषेचित अण्ड(Fertilized ovum) में एक से अधिक भ्रूण विकसित होने की है प्रक्रिया बहुभ्रूणता कहलाती है । बहुभ्रूणता पादपों एवम् जन्तुओं दोनों में ही पायी जाती है। सन् 1719 में सन्तरे के बीजों में एन्टॉनी वॉन ल्यूवेनहॉक ने सबसे पहले बहुभ्रूणता का पता लगाया था।
अनावृतबीजी पादपों में बहुभ्रूणता एक सामान्य लक्षण है जबकि आवृतबीजी पादपों में यह कुछ वंशों में ही पायी जाती है, जैसे नींबू,जामुन, तम्बाकू, प्याज (एलियम), क्रोटेलेरिया इत्यादि। इन अधिकांशपादपों में बहुभ्रूणता की स्थिति में एक स्वस्थ बीज में एक ही भ्रूणपरिपक्व हो पाता है शेष भ्रूण विकास की विभिन्न अवस्थाओं के दौरान नष्ट हो जाते हैं। कुछ पादप जैसे वैण्डा जो कि एक अधिपादप है, में
बीज के अंकुरण के समय एक से अधिक परिपक्व भ्रूण पाए जाते है
चित्र।
Join for information like this
Join Now
+◆आवृतबीजी पादपों में बहुभ्रूणता के कारण (Causes of
polyembryony in angiosperms):-बहुभ्रूणता अनावृतबीजीपादपों का सामान्य लक्षण है जबकि आवृतबीजी पादपों में यह निम्नकारणों से उत्पन्न हो सकती है:-
1. प्राकभ्रूण के विदलन से।
2. भ्रूणकोष में अण्ड कोशिका के साथ-साथ किसी अन्य
कोशिका से भी भ्रूण के विकास से।
3. एक ही बीजाण्ड में एक से अधिक भ्रूणकोषों के विकास से।
4. बीजाण्ड की बीजाणुद्भिद् कोशिकाओं की सक्रियता से।
पादपों में बहुभ्रूणता उपर्युक्त कारणों से होती है जिसे निम्नानुसार वर्गीकृत कर विस्तार से समझा जा सकता है:-
1. विदलन बहुभ्रूणता (Cleavage polyembryony):-
इस प्रकार की बहुभ्रूणता में युग्मनज (Zygote) अथवा प्राकभ्रूण में (Proembryo) में विदलन होने से बीज में एक से अधिक भ्रूणों का विकास हो जाता है।
यूलोफिया नामक ऑर्किड में तीन प्रकार की विदलन बहुभ्रूणता पायी जाती है।
i. युग्मनज कोशिका में अनियमित विभाजनों द्वारा कोशिकाओं के एक पिण्ड का निर्माण होता है जिसकी निभाग की तरफ स्थित कोशिकाओं की वृद्धि से अनेक भ्रूणों का निर्माण होता है।
ii. प्राकभ्रूण से कलिकाएं अथवा अतिवृद्धियाँ निकलती है,
जिनसे भ्रूणों का निर्माण होता है।
iii. तन्तुमय भ्रूण-इस प्रकार की बहुभ्रूणता में प्राकभ्रूण शाखित जाता है तथा प्रत्येक शाखा से भ्रूण का निर्माण होता है।
2. अण्ड कोशिका के अतिरिक्त भ्रूणकोष की अन्य
कोशिकाओं से भ्रूण का निर्माण (Development of embryo
from cells of embryo sac other than the egg cell):-
इस प्रकार की बहुभ्रूणता में निषेचित अथवा अनिषेचित सहायक कोशिकाओं से भ्रूणों का विकास होता है। निषेचित एवम् अनिषेचित सहायक कोशिकाओं से विकसित होने वाले भ्रूण क्रमशः द्विगुणित (एरिस्टोलोकिया ब्रैक्टिएटा) तथा अगुणित (आर्जिमोन मैक्सिकाना) होते
3. बीजाण्ड में एक से अधिक भ्रूणकोर्षों का विकास
(Development of more than one embryo sacs in the
ovule):-कुछ आवृतबीजी पादप जैसे- केजुएराइना मोन्टाना आदि में एक ही बीजाण्ड में एक से अधिक भ्रूणकोष विकसित हो जाते हैं तथा प्रत्येक भ्रूणकोष में उपस्थित अण्ड कोशिका निषेचन के पश्चात भ्रूण का निर्माण करती है। इस प्रकार एक बीजाण्ड में एक से अधिक भ्रूण
विकसित हो जाते है।
4. कभी-कभी बीजाण्ड में उपस्थित बीजाण्डकाय
(Nucellus) अथवा अध्यावरण की कोशिकाएं सक्रिय होकर भ्रूण का
निर्माण करती है। इस प्रकार विकसित भ्रूण अपस्थानिक भ्रूण
(Adventive embryo) तथा बहुभ्रूणता की इस प्रक्रिया को
अपस्थानिक बहुभ्रूणता कहते है।
बहुभूणता की सार्थकता (Significance of
polyembryony):-उद्यान विज्ञान, कोशिका विज्ञान, आनुवंशिकी
तथा पादप प्रजनन के क्षेत्रों में बहुभ्रूणता की सार्थक भूमिका निम्नानुसार
(i) बीजाण्डकाय से विकसित होने वाले अपस्थानिक भ्रूण मातृ पादप के समरूप होते हैं।
(ii) बीजाण्डकाय से विकसित भ्रूणों से प्राप्त पादप ओज
(Vigour) से भरपूर होते है।
(iii) बीजाण्डकाय से विकसित भ्रूण रोग रहित होते हैं अत: नींबू की किस्मों के विषाणु रहित क्लोन बीजाण्डकाय संवर्धन से प्राप्त किए जा सकते हैं।
(iv) अगुणित भ्रूणों का कोशिका विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण
उपयोग है।
(v) इन अगुणित भ्रूणों को कॉल्चिसीन द्वारा उपचारित कर
समयुग्मकी वंशावली (Homozygous lines) को विकसित किया जा सकता है जिनकी पादप प्रजनन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका है।
बहुभ्रूणता क्या है आपको हमारा आर्टिक केसा लगा camment में जरूर बताएं
बहुभ्रूणता क्या है
बहुभ्रूणता पर टिप्पणी
बहुभ्रूणता क्या है उदाहरण
बहुभ्रूणता के उदाहरण
बहुभ्रूणता के प्रकार
बहुभ्रूणता का उदाहरण
बहुभ्रूणता के कारण
बहुभ्रूणता परिभाषा